भारत में पांच वर्ष में मातृ मृत्युदर में 26.9 प्रतिशत की कमी आई

भारत में पांच वर्ष में मातृ मृत्युदर में 26.9 प्रतिशत की कमी आई

सेहतराग टीम

भारत में मातृ मृत्युदर अनुपात (एमएमआर) में वर्ष 2013 से अबतक 26.9 प्रतिशत की कमी आई है। भारत के रजिस्‍ट्रार जनरल ऑफ‍िस से जारी 2016 के सैंपल रजिस्‍ट्रेशन सिस्‍टम बुलेे‍टिन मेें यह जानकारी दी गई है।

दरअसल दक्षिण राज्यों में प्रति एक लाख जन्म पर  एमएमआर 77 से घटकर 72 पर आ गया है जबकि अन्य राज्यों में यह आंकड़ा 93 से घटकर 90 हो गया है। वहीं महापंजीयक कार्यालय की ओर से जारी विशेष बुलेटिन के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार  2011-2013 के बीच एमएमआर 167 था जो 2014 से 2016 के बीच घटकर 130 पर आ गया। वर्ष 2015-17 में इसमें और कमी आई और यह 122 पर आ गया। इस प्रकार पिछले सर्वे 2014-2016 के मुकाबले इसमें 6.15 फीसदी की कमी आई है।

जारी बुलेटिन में बताया गया कि, ये बेहद सुखदजनक मातृ मृत्युदर अनुपात 2014-2016 के 130 से घटकर 2015-2017 में 122 रह गया। सबसे अधिक कमी सशक्त कार्य समूह (ईएजी) राज्य असम में हुई जहां एमएमआर 188 से घटकर 175 पर आ गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु ने एक लाख जन्म पर 70 एमएमआर का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। आंध्र प्रदेश और तेलंगना भी इस लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब हैं।

मातृ मृत्युदर अनुपात को बेहतर तरीके से समझने के लिए खासतौर पर क्षेत्रीय आधार पर सरकार ने राज्यों को ईएजी, दक्षिण राज्यों और अन्य की तीन श्रेणियों में बांटा है। जिसमें ईएजी में बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और असम राज्य आते हैं। वहीं दक्षिणी राज्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्य आते हैं। और अन्य की श्रेणी में बचे हुए राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों को रखा गया है।

बुलेटिन में कहा गया कि मातृ मृत्यु बेहद चिंताजनक घटना है और इसके आंकलन के लिए बड़े स्तर पर नमूनों की जरूरत होते है। इसलिए   नमूना पंजीकरण प्रणाली में बेहद सटीक और विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों को शामिल किया गया है। 

मातृ मृत्युदर अनुपात पर भारत में पहली रिपोर्ट अक्टूबर 2006 में जारी की गई थी। इसमें 1997 से 2003 के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया था और प्रचलन, कारण और खतरे को बताया गया था। वहीं पिछले वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एमएमआर में कमी के लिए भारत की सराहना की थी। उसने कहा कि भारत अपने लक्ष्य की तरफ है। संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक एमएमआर को प्रति एक लाख जन्म पर 70 से कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।